"दैनिक जीवन में योग" पद्धति ने पश्चिमी लोगों के लिए योग को अपने मौलिक और शुद्धतम रूप में अनुभव करने का अवसर सृजित किया है। "दैनिक जीवन में योग" का मैं जितना अधिक अभ्यास करता हूं, पश्चिमी संस्कृति में योग को सम्मिलित कर लेने के बारे में मेरे समक्ष उतने ही कम प्रश्न शेष रह जाते हैं। योग, यहां मेरा अर्थ विशेष, रूप से "दैनिक जीवन में योग" से है, स्वास्थ्य और सुव्यवस्था का मार्ग प्रस्तुत करता है। योग व्यायाम शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्तरों पर सन्तुलन उत्पन्न करते हैं। पूर्ण संतुलन का अर्थ पूर्ण स्वास्थ्य होता है और हर वह विधि या विज्ञान जो इस लक्ष्य की ओर ले जाता है वह योग की धारणा से मेल खाता है।
ज्यों-ज्यों मैं "दैनिक जीवन में योग" के लाभों और हमारे स्वास्थ्य के लिए इसके अत्यधिक मूल्य को अनुभव करना जारी रखता हूं, मेरे भीतर यह आवश्यकता प्रेरित करती है कि मैं एक चिकित्सा विज्ञानी के रूप में इस ज्ञान को अपने कार्य में प्रवाहित करता रहूं। शारीरिक रोगोपचारी देखभाल के लिए पुन: प्रविष्ट रोगियों की संख्या ने, मेरे इस विश्वास को और सुदृढ़ किया है कि "दैनिक जीवन में योग" के एकीकरण ने मेरी चिकित्सा पद्धति में समृद्धि प्रदान की है।
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"इन दिनों में, व्यायामों का अभ्यास करने के लिए समय निकाल लेता हूं और अपने शरीर की जागरूकता को अनुभव करना सीख गया हूं। इस कारण मैं अनावश्यक तनाव से सचेत रहते हुए प्राय: सफल रहा हूं और इसे सावधानीपूर्वक दूर कर सका हूं।"
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मैं अब अधिक सुगमता से विश्राम कर सकता हूँ। इससे अपने अन्दर अधिक सामर्थ्य को संजाये रखने की योग्यता प्राप्त कर ली है।
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"सचेत रहते हुए श्वास के प्रति जागरूक रहने और श्वास को प्रभावित करने की योग्यता ने मुझे स्वस्थ रहने में बहुत सहायता की है।"
"दैनिक जीवन में योग" में तनावहीनता (विश्राम) का महत्त्व
शारीरिक व्यायामों में सही अभ्यास के समान ही योग में तनावहीन होने (विश्राम करने) की योग्यता का महत्त्व है। प्रत्येक व्यायाम सत्र तनावहीनता की एक छोटी अवधि के साथ प्रारम्भ और समाप्त होता है। व्यायामों के मध्य भी एक संक्षिप्त तनावहीनता (विश्राम) की अवधि होती है।
तनावहीनता का गहनतर महत्त्व इस तथ्य में सन्निहित है कि विश्राम की अवधि में पर्याप्त समय प्राप्त हो जाता है जिससे योग व्यायाम के लिए शरीर पुन: तैयार हो सके। कुशल चिकित्सक सजग होकर व्यायाम के सन्तुलनकारी प्रभावों का अनुसरण कर सकता है और शरीर के कार्यों की उत्तम जानकारी रख सकता है। योग व्यायाम को सदैव श्वास के साथ समन्वित किया जाना चाहिए और अति सावधानी के साथ उनका अभ्यास होना चाहिए। इस प्रकार शरीर, मन और चेतना पर गुणकारी प्रभाव लक्षित होने लगता है।
चूँकि मैं "दैनिक जीवन में योग" पद्धति का अभ्यास करता रहा हूं इसलिए मैंने अपने चिकित्सा कार्य में विश्राम, श्वसन और गति के सचेत निष्पादन पर अधिक ध्यान दिया है। मैं स्वयं व्यक्तिश: यह पता कर पाया हूं कि शारीरिक और मानसिक संतुलन पुनर्स्थापना के लिए ये तीन पक्ष कितने महत्वपूर्ण हैं और हमारे स्वास्थ्य में इनकी कितनी विस्तृत भूमिका होती है। "दैनिक जीवन में योग" स्वास्थ्य के बहुत क्षेत्रों में चिकित्सकीय उपयोग अब और भी अधिक स्पष्ट हो गये हैं। ज्यों-ज्यों मैं उन मरीजों को मिलना जारी रखता हूं जो अनेक शारीरिक अव्यवस्थाओं से ग्रस्त होते हैं, इस प्रक्रिया में मैं इस योग पद्धति का पूरा मूल्यांकन और असीम लाभों को निरन्तर पुनर्निर्धारित करना सीख गया हूं।
"दैनिक जीवन में योग" चिकित्सा पद्धति के पूरक के रूप में
योग व्यायाम बहुत सारे रोगियों के लिए घरेलू कार्यक्रम के रूप में उपयुक्त होते हैं। चिकित्सक द्वारा व्यक्ति के लिए उनका चयन और अनुकूलन किया जा सकता है। स्पष्ट उदाहरण और पाठ अनुदेश रोगियों के लिए स्वतन्त्रतापूर्वक उनका अभ्यास करना आसान बना देते हैं। मैं कई रोगियों को अभिशंषा करता हूं कि वे शारीरिक चिकित्सा उपचार के सहायक चरण के रूप में "दैनिक जीवन में योग" व्यायामों का अभ्यास करें। यह एक दैनिक व्यायाम के कार्यक्रम के रूप में सर्वोत्तम होता है जब किसी चिकित्सकीय देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है। मेरे रोगी इन व्यायामों का अभ्यास करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं क्योंकि वे अपने स्वास्थ्य पर इनसे होने वाले सार्थक परिणाम की कल्पना कर सकते हैं।
"दैनिक जीवन में योग" श्वसन चिकित्सा में
योग व्यायामों का श्वसन चिकित्सा में बहुत महत्त्व है। पश्चिमी चिकित्सा पद्धति में इन व्यायामों के मूल्य का बहुत सम्मान है। जहां तक मैं जानता हूं श्वसन चिकित्सा संबंधी अधिकांश पुस्तकें श्वसन कार्य में सुधार के लिए योग व्यायाम की किसी न किसी प्रकार की अभिशंषा करते हैं।
"दैनिक जीवन में योग" के व्यायाम इस प्रकार निरूपित किये गये हैं कि वे विभिन्न शारीरिक मुद्राओं द्वारा फेफड़ों के हर क्षेत्र में श्वास लेने का मार्गदर्शन करते हैं। इससे श्वसन स्वभाव ठीक बनता है और शरीर की चयापचयन दर प्रोत्साहित होती है। सही श्वसन स्वास्थ्य के लिए एक अनिवार्य पूर्व शर्त है, यही कारण है कि योग के अभ्यास में श्वास पर इतना अधिक महत्व दिया गया है।
शारीरिक व्यायामों के साथ-साथ मैं अपने बहुत सारे रोगियों को "दैनिक जीवन में योग" की हिदायतों के अनुसार नाड़ी शोधन का अभ्यास करने की भी अभिशंषा करता हूं। ये विशेष श्वास व्यायाम प्राण को संतुलित करते हैं जो किसी भी शरीर के भीतर जीवन ऊर्जा है। नाड़ी शोधन स्वस्थ कार्य प्रणाली प्रस्तुत करता है और शारीरिक और मानसिक संतुलन के परिणामस्वरूप एक अति सुखद भावना उत्पन्न करता है।
"दैनिक जीवन में योग" पीठ और जोड़ों में दर्द के लिए
विश्राम (तनावहीनता) श्वसन और शारीरिक व्यायामों की उच्च प्रणाली उन रोगियों के लिए एक लाभदायक कार्यक्रम है जो अधिक इस्तेमाल और बारम्बार होने वाले दबाव के कारण कष्टग्रस्त जोड़ों और मांसपेशियों के असन्तुलन से ग्रस्त हैं। योग व्यायाम पूरे शरीर की मांसपेशियों को विधिवत शिक्षण देते हैं, जिनमें दबावों के विकल्प के रूप में कुछ मुद्रायें विश्राम और गति की अवस्थायें होती हैं।
यदि एक बार चिकित्सा निदान किसी भी समस्या के कारण हुई स्वाभाविक क्षति को नकार दें तो यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि "दैनिक जीवन में योग" का नियमित अभ्यास मांसपेशियों का सन्तुलन और जोड़ों का स्वास्थ्य निश्चित रूप से सुधार देगा।
घटिया मुद्रा और शारीरिक हरकत में बुरी आदतें रीढ़ पर अनावश्यक दबाव डालते हैं। इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न मांसपेशियों का तनाव पीठ दर्द का बहुधा प्रचलित कारण है जो शरीर के अन्य क्षेत्रों जैसे सिर, गर्दन, बाजू और पैरों में भी फैल सकता है। इसी कारण योग के प्रत्येक आसन में साधारणत: अभ्यास के समय रीढ़ का कोई न कोई भाग सम्मिलित होता है। इन व्यायामों में जिनमें रीढ़ में कोमल मोड़ सम्मिलित होते हैं, वे विशेष रूप से पीठ की गहरी परतों को तनावहीन करते हैं। ये मांसपेशियां रीढ़ के साथ-साथ स्थित कशेरुका को जोड़ती हैं और वे प्राय: तनाव बनाये रखती हैं। चूंकि ये मांसपेशियां टेढ़ी होती हैं उनको कोमल मोड़ वाले व्यायामों से बहुत अधिक लाभ पहुंचता है।
मांसपेशियों को खींचना और उनको मजबूत करना एक साथ होना चाहिए। यदि एक मांसपेशी केवल खींची जाती है तो यह तुरन्त तनाव में आ जाती है और दबाव में आकर छोटी हो जाती है, जब आवश्यक बल का अभाव होता है। यदि किसी मांसपेशी को केवल मजबूत ही किया जाता है तो इसकी लोच और सुनम्यता खो जाती है जो कम हुई गतिशीलता में दिखाई देती है।
मजबूत और लोचपूर्ण मांसपेशियां रीढ़ और जोड़ों के लिए महत्त्वपूर्ण संरक्षण बनाती हैं। इसी कारण कुछ सप्ताह मात्र के अभ्यास के बाद योग व्यायामों के नियमित करने से रीढ़ और जोड़ों की समस्याओं के लक्षणों में कमी होने लगती है। योग आसनों का अभ्यास मांसपेशियों, अस्थिबंध,उपास्थि, जोड़ों के भागों का उचित स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए गति की आवश्यक शृंखला प्रदान करता है जो उनके संचालन के लिए जरूरी है। हर जोड़ के चारों ओर के हस्तिबंध और जुड़े हुए स्नायु मांसपेशी के तनाव के साथ सख्त हो जाते हैं किन्तु खींचने से लचीले हो जाते हैं। योग व्यायाम जोड़ों के भाग की आन्तरिक सतह से जोड़ों का रस उत्पादन बढ़ाते हैं जिनसे जोड़ों को बल प्राप्त होता है। उपास्थि, चक्रिकायें (डिस्क) नवचन्द्रकों को लचीलापन और गतिशीलता बनाये रखने के लिए संतुलित गति की आवश्यकता होती है।
"दैनिक जीवन में योग" के मन: कायिक प्रभाव
योग व्यायाम तथ्यपूर्ण कायिक व्यायाम हैं, जिनका अर्थ है कि ये शरीर, मन, श्वास और चेतना को प्रभावित करते हैं। यह तथ्य मेरा कार्य सुगम कर देता है। मेरे रोगियों में से बहुत सारे गर्दन, पीठ या सिर दर्द से पीडि़त हैं जिसके लिए परिश्रम का मुकाबला करने में उनकी अयोग्यता को कारण बताया जा सकता है। तथापि बहुत सारे लोग इसे स्वीकार करने से इंकार करते हैं और इसके बजाय शारीरिक उपचार के उपायों के माध्यम से दीर्घकालीन सहायता ही ढूढ़ते रहते हैं। ऐसे मामलों में योग व्यायाम उन रोगियों की सहायता करते हैं जो बिना आन्तरिक परिवर्तन के सुधार में अयोग्य महसूस करते हैं, क्योंकि यह व्यायाम शारीरिक और मानसिक दोनों ही स्तरों पर प्रभाव डालते हैं।
"दैनिक जीवन में योग" ने मुझे यह जानने में सहायता की है कि योग व्यायाम कितने वृहद होते हैं और शरीर तथा मन पर इनका कितना अधिक सघन प्रभाव है। शारीरिक गति, श्वसन और विश्राम विधियों के सभी व्यायाम मानव अस्तित्वों के कार्यकलापों में सर्वाधिक स्वाभाविक प्रकार से व्यवस्था स्थापित करते हैं। हर मामले में व्यक्ति को एकीकृतपूर्णता के रूप में योग व्यायाम निश्चयात्मक प्रभाव डालते हैं। मेरे अनुभव से, जो व्यक्ति बारम्बार होने वाले दबाव संबधित सिर दर्द या पीठ दर्द से पीडि़त होते हैं वे "दैनिक जीवन में योग" पद्धति को अत्यन्त लाभकारी और सुखद व्यायाम कार्यक्रम के रूप में अनुभव करते हैं।
"दैनिक जीवन में योग" स्वयं में ही एक पूर्ण और वृहद, विषद स्वास्थ्य तंत्र है। मेरे अपने अभ्यास के परिणाम इस तथ्य को सुदृढ़ करते हैं कि इसके प्रभाव शारीरिक स्तर से भी बहुत आगे तक होते हैं। इसी कारण मैं इस पद्धति के उपयोग की अभिशंषा करता हूं, जिससे स्वास्थ्य के प्रति सचेत सभी व्यक्ति इससे लाभान्वित हो सकें।
हरियट बुशर, डिप. शरीर चिकित्सक