प्रारंभिक स्थिति :
टांगें सीधी फैलाकर बैठें।
ध्यान दें :
पीठ की हलचल पर।
श्वास :
शारीरिक क्रिया के साथ समन्वित।
दोहराना :
प्रत्येक भिन्न प्रकार 10 बार।
अभ्यास :
टांगों को सीधा करके बैठें। पीठ सीधी और आराम से है। हाथ जांघों पर रखे हैं।
भिन्न प्रकार (क) : आगे की ओर नौकायन।
>> हाथों को घुटनों के पास रखें इसमें हथेलियाँ नीचे की ओर इंगित करेंगी। > पूरक करते हुए बाजुओं को पीछे खींचें, हाथों की मुट्ठियाँ बनायें जिसमें अंगूठे अन्दर की ओर होंगे और शरीर को पीछे की ओर यथा संभव झुकायें। बाजुओं को ऊपर की ओर सीधा करें और शरीर को सीधा ऊपर लायें। मुट्ठियों को खोल दें।> रेचक करते हुए बाजुओं को बाहर फैलाते हुए शरीर के ऊपरी भाग को यथा संभव आगे झुकायें। > पूरक करते हुए बाजुओं को पुन: पीछे ले जायें और नौका संचालन क्रिया जारी रखें।
भिन्न प्रकार (ख) : पीछे की ओर नौकायन।
> हाथों को घुटनों के पास रखें। इसमें हथेलियां ऊपर की ओर इंगित करेंगी। > रेचक करते हुए बाजू को सीधा रखते हुए कूल्हों से शरीर के ऊपरी भाग को आगे झुकाएं। > पूरक करते हुए शरीर के ऊपरी भाग को ऊपर खीचें और बाजुओं को ऊपर ले जायें तथा हाथों की मुट्ठियाँ बांध लें। शरीर को यथा संभव पीछे झुकाएं, हाथों को कंधों तक ले जायें और फिर फर्श की ओर लायें। मुट्ठियों को खोल दें, हथेलियाँ ऊपर की ओर होंगी।> रेचक करते हुए बाजुओं को सीधा रखते हुए, शरीर के ऊपरी भाग को यथा संभव आगे झुकाएं। > पूरक करते हुए नौकायन की क्रिया को जारी रखें।
लाभ :
यह रक्त संचालन, पाचन तंत्र और चयापचयन दर को प्रेरित करता है। यह श्वास को गहरा और तेज करता है। यह पीठ की एवं जंघाओं के पीछे की मांसपेशियों को खींचकर पीठ, पेट और बाजू की मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करता है। रीढ़ और कूल्हों की गतिशीलता को बढ़ाता है।
इस व्यायाम के बाद आनंदासनमें आराम करें।
आसन इन निम्नलिखित श्रेणियों में शामिल किया जाता है:
पेट और पीठ की मांसपेशियां मजबूत करने के लिए आसन और व्यायाम
कंधों और भुजाओं को मजबूत करने हेतु आसन और व्यायाम
हाथों में रक्त संचार बढ़ाने और अंगुलियों के जोड़ों को गतिशील करने हेतु आसन और व्यायाम
रक्त संचार बढ़ाने हेतु आसन और व्यायाम