प्रारंभिक स्थिति :
वज्रासन।
ध्यान दें :
आ हाऽऽऽ ध्वनि के दौरान मांसपेशियों की तनावहीनता पर।
श्वास :
शारीरिक क्रिया से समन्वित।
दोहराना :
10 बार तक।
अभ्यास :
वज्रासन में बैठें। घुटने कुछ दूरी पर हों और पंजे नीचे मुड़े हुए। हाथों को घुटनों पर रखें और बाजुओं को सीधा करें। > नाक से गहरी श्वास लेते हुए कंधों को थोड़ा-सा ऊपर उठायें। > दृढ़ता से मुख से रेचक करते हुए हाथों को घुटनों पर मजबूती से दबाएं और हाथ की अंगुलियों को चौड़ी कर फैला लें। > आंखों को चौड़ी करें और ऊपर देखें। > जिह्वा (जीभ) को बाहर निकाल कर फैलाएं तथा 'शेर की दहाड़' जैसी आवाज जोर से करें.... आ हाऽऽऽ खुलकर करें। आश्वस्त हों कि 'आ हाऽऽऽ' की आवाज गले से नहीं बल्कि पेट से आवे।
लाभ :
यह आसन उच्चारण, सुर-साधना-यंत्रों व मध्य पेट को अभ्यास कराता है और इस प्रकार गायकों के लिए बहुत अच्छा है। इसकी सिफारिश बोलने में बाधा अनुभव करने वालों के लिए की जाती है और यह नाक, कान, गले और मुख की समस्याओं वाले लोगों के लिए भी लाभदायक है।
इस व्यायाम के बाद आनंदासनमें आराम करें।
आसन इन निम्नलिखित श्रेणियों में शामिल किया जाता है:
उच्चारण ग्रंथियों को मजबूत करना और स्वर उच्चारण सुधारने के लिये आसन और व्यायाम