प्रारंभिक स्थिति :
पद्म सर्वांगासन।
ध्यान दें :
मणिपुर चक्र और विशुद्धि चक्र पर।
श्वास :
सामान्य।
दोहराना :
2 बार।
अभ्यास :
पद्म सर्वांगासन में आयें और धीरे-धीरे टांगों को सिर की ओर तब तक लायें जब तक कि घुटने फर्श को कानों के पास न छू लें। पीठ को हाथों से सहारा दें। पूरे शरीर को शिथिल कर दें और इस स्थिति में लगभग एक मिनट रहें। धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में लौट आयें।
लाभ :
यह आसन पीठ और गर्दन की मांसपेशियों को खींचता है और आराम देता है। यह अवटु-ग्रन्थि, पेट के सभी अंगों और गुर्दों को प्रोत्साहित करता है। यह अस्थिर गुर्दों के लिए सहायक है। श्वास को विनियमित करता है।
सावधानी :
इस आसन का अभ्यास ग्रीवा-रीढ़ की समस्या, उच्च रक्तचाप या अति सक्रिय अवटु की स्थिति में नहीं करें।
आसन इन निम्नलिखित श्रेणियों में शामिल किया जाता है:
गुर्दे हेतु (चलायमान) आसन और व्यायाम