"योग अनंत है, अक्षय और शाश्वत है। योग वह चेतना है जो कभी भी सुप्त नहीं होती। जीवन जो अमर है, वह ज्योति है जो सदैव प्रकाशित होती है। जो आपके अन्त:करण में एवं चारों ओर है, जिसका कोई आदि एवं अंत नहीं है।"
"योग अनंत है, अक्षय और शाश्वत है। योग वह चेतना है जो कभी भी सुप्त नहीं होती। जीवन जो अमर है, वह ज्योति है जो सदैव प्रकाशित होती है। जो आपके अन्त:करण में एवं चारों ओर है, जिसका कोई आदि एवं अंत नहीं है।"