विधि :
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एक मोमबत्ती के सामने ध्यान मुद्रा में बैठें। मोमबत्ती को लगभग अपने से एक हाथ की दूरी पर रखें जिसमें मोमबत्ती की बाती आपकी छाती की ऊंचाई पर ही हो। यदि मोमबत्ती बहुत अधिक ऊंचाई पर रख दी जाये तो यह आपके भौहों के केन्द्र पर तनाव उत्पन्न कर सकती है या आंखों में जलन कर सकती है। लौ स्थिर होनी चाहिए और यह कभी कम ज्यादा न हो। अपनी आंखें बंद कर लें। मन में अपना मंत्र दोहरायें जैसा ध्यान मुद्रा में करते हैं।
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आंखें खोलें और बिना पलक झपकाये लौ को देखें। लौ में रंग के तीन अंश हैं। बाती के निचले भाग पर लालिया रंग है, मध्य में यह चमकदार सफेद और सबसे ऊपर थोड़ा सा धुंधला है। लौ के ऊपरी भाग पर दृष्टि को एकाग्र करें जहां यह सबसे अधिक चमकदार है।
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आंखों को फिर बंद कर लें। यदि लौ कि प्रतिमा भीतर दिखाई देती है तो बिना किसी तनाव के उस प्रतिमा पर एकाग्र हों। प्रतिमा के पीछे जाने का या उसे पकडऩे का कोई प्रयत्न न करें। अन्यथा यह धुंधली होने लगेगी और ओझल हो जायेगी।
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यह अभ्यास तीन बार दोहरायें।
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अभ्यास का समय धीरे-धीरे बढ़ाते जायें। प्रारम्भिक चरणों में लौ पर केवल 10-15 सैकण्ड ही देखें। धीरे-धीरे इस अवधि को बढ़ायें, जिससे लगभग 1 वर्ष बाद आप लौ की ओर एक मिनट के लिए देख सकें और फिर बंद आंखों से आप आन्तरिक प्रतिमा पर लगभग 4 मिनट के लिए ध्यान एकाग्र कर सकें। अभिशंसा की गई है कि किसी भी परिस्थिति में यह समय सीमा बढ़ाई नहीं जानी चाहिए।
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कोई व्यक्ति त्राटक का अभ्यास काले कागज पर एक सफेद बिन्दु को देखते हुए या सफेद कागज पर काले बिन्दु पर देखते हुए भी कर सकता है। जब कोई सफेद बिन्दु पर दृष्टि एकाग्र करता है, वह आंखें बन्द होने पर इसे काली प्रतिमा के रूप में देखता है और काला बिन्दु होने पर यह उलटा हो जाता है।
लाभ :
यह आंखों को शुद्ध करता है, आंखों की मांसपेशियां मजबूत करता है, दृष्टि और स्मरण शक्ति को बढ़ाता है। यह निद्रा की परेशानियों और रात्रि में बिस्तर गीले करने की आदत को रोकने में सहायक होता है। यह चित्त एकाग्र करने की क्षमता को सुदृढ़ करता है, इसलिए स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए इसकी अभिशंषा की जाती है। यह अन्त: दृष्टि, अन्तर्ज्ञान, देखने की क्षमता और इच्छा शक्ति को विकसित करता है।
सावधानी :
यह मानसिक समस्याग्रस्त व्यक्तियों के लिए उपयुक्त व्यायाम नहीं है। जिन व्यक्तियों की वृत्ति खंडित मानसिकता (स्किइजों फ्रेनिया) या दृष्टि-भ्रम की स्थिति हो उनको त्राटक का अभ्यास नहीं करना चाहिए।