प्रारंभिक स्थिति :
पैर सीधे नीचे करके बैठें।
ध्यान दें :
कूल्हों पर।
श्वास :
सामान्य श्वास लेना।
दोहराना :
प्रत्येक पैर के साथ दस बार।
अभ्यास :
पीठ और पैर सीधे रख कर बैठें। > सामान्य श्वास लेते हुए दायें पंजे को बायीं जाँघ के ऊपर रखें, जितना संभव हो कूल्हे के पास ले जायें। पंजे का तलवा ऊपर की ओर होगा। यदि पैर की यह स्थिति मुश्किल हो तो पंजे को शरीर के निकटतम जाँघ के अन्दर की ओर फर्श पर रखा जा सकता है। > दायें पैर के अंगूठे को बायें हाथ से पकड़ें। > थोड़े से दबाव के साथ घुटने को दायें हाथ से ऊपर और नीचे दस बार हिलायें। > प्रारम्भिक स्थिति में वापस आ जायें और इस व्यायाम को बायें पैर से भी करें।
लाभ :
अन्दर के कूल्हों और जाँघों के स्नायु को फैलाता है और कूल्हों में रक्त संचार करता है। ध्यानावस्था के लिए यह अच्छी तैयारी है।
सावधानी :
यदि टखनों, घुटनों या कूल्हों के जोड़ों में कोई समस्याएं हैं तो इस व्यायाम को न करें।
आसन इन निम्नलिखित श्रेणियों में शामिल किया जाता है:
कूल्हों के जोड़ों की गतिशीलता बढ़ाने हेतु आसन और व्यायाम