प्रारंभिक स्थिति :
सीधे पैर करके बैठें।
ध्यान दें :
पेट की मांसपेशियों पर।
श्वास :
सामान्य श्वास।
दोहराना :
तीन बार।
अभ्यास :
पैर सीधे करके बैठें। बाजुओं को सामने फैलायें, अँगुलियों को जकड़ लें। टाँगों को ऊपर उठायें और शरीर का ऊपरी भाग थोड़ा सा पीछे झुकायें। नितम्बों पर संतुलन करें जिससे शरीर एक नाव की भाँति दिखाई देने लगे। > सामान्य श्वास लें, शरीर को 10 बार दायीं और बायीं ओर करें, फिर प्रारंभिक स्थिति में लौट आयें।
लाभ :
पेट, पीठ और टाँगों के अगले हिस्से को मजबूती मिलती है। यह आसन नितम्बों की मांसपेशियों की मालिश करता है, और मेरुदण्ड की पाश्र्वक्षुब्धता को व पीठ की जकडऩ को दूर करने में सहायक होता है। यह पाचनशक्ति को बढ़ाता है।
सावधानी :
पेट की शल्य क्रिया के पश्चात् इस व्यायाम का अभ्यास न करें। यदि कमर व रीढ़ में कठिनाइयाँ हों तो इस व्यायाम का अभ्यास मुड़े हुए घुटनों के साथ करना चाहिए। यदि इस व्यायाम से दर्द होता हो तो भी इसे न करें।
आसन इन निम्नलिखित श्रेणियों में शामिल किया जाता है:
पाचन सम्बन्धी समस्याओं को निराकरण के लिए आसन और व्यायाम