प्रारंभिक स्थिति :
टांगें सीधी रखकर बैठें।
ध्यान दें :
बाजुओं, कलाइयों और अंगुलियों पर।
श्वास :
सामान्य श्वास।
दोहराना :
प्रत्येक प्रकार को 5-10 बार।
अभ्यास :
टांगें सीधी रखते हुए बैठें। पीठ सीधी किन्तु आराम से और हाथ जांघों पर रहेंगे। हाथों को सामने कंधे की ऊँचाई तक उठायें जिसमें हथेलियाँ नीचे की ओर होंगी। पूरे व्यायाम के दौरान बाजू सामने फैले हुए ही रहेंगे।
भिन्न प्रकार (क) - अंगुलियों को फैलाना
> सामान्य श्वास लेते हुए पहले अंगुलियों को एक मुट्ठी में बन्द करें, जिसमें अंगूठा अन्दर होगा, फिर उनको चौड़ा फैला दें। इस क्रिया को दस बार करें।
भिन्न प्रकार (ख) - मुट्ठी घुमाना
> अंगुलियों को मुट्ठीयों में बन्द करें, जिनमें अंगूठे अन्दर की ओर होंगे। सामान्य श्वास लेते हुए मुट्ठीयों को चक्र में घुमायें। प्रत्येक दिशा (दायें-बाये) में 5 घुमाने की क्रियाएं करें।
भिन्न प्रकार (ग) - कलाइयों को ढीला करना और विस्तृत करना
> सामान्य श्वास लेते हुए एक के बाद एक हाथों को कलाइयों से नीचे और ऊपर झुकायें जिसमें अगुलियाँ सीधी रहें। 5-10 बार इसे दोहरायें।
भिन्न प्रकार (घ) - बाजुओं को घुमाना
> अंगुलियाँ एक साथ हैं, हथेलियाँ आगे की ओर हैं और अंगुलियों के पोर ऊपर की ओर संकेत करते हैं। सामान्य श्वास लेते हुए हाथों को 5-10 बार घुमायें जिससे अंगुलियों के छोर एक बार अन्दर की ओर, एक बार बाहर की ओर संकेत करें। यह क्रिया पूरी करने के बाद प्रारम्भिक स्थिति में लौट आयें।
लाभ :
यह क्रिया अंगुलियों, हाथों और बाजुओं में लोच और रक्त-संचालन को बढ़ाती है। यह कलाइयों, बाजुओं, कंधों और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत बनाती है।
आसन इन निम्नलिखित श्रेणियों में शामिल किया जाता है:
हाथों में रक्त संचार बढ़ाने और अंगुलियों के जोड़ों को गतिशील करने हेतु आसन और व्यायाम