प्रारंभिक स्थिति :
उकड़ू बैठना।
ध्यान दें :
सन्तुलन पर।
श्वास :
सामान्य।
दोहराना :
1-1 बार दोनों टाँगों से।
अभ्यास :
पंजों के बल उकड़ू बैठ जायें। सारा शरीर स्थिर और तनावहीन रहे। अपने सामने किसी निश्चित बिन्दु पर चित्त एकाग्र करें। > सामान्य श्वास के साथ बाईं एडी पर बायें नितम्ब के साथ बैठ जायें और दाईं टांग को बाईं जाँघ पर रख लें। बायां घुटना फर्श को नहीं छूना चाहिए। हाथों की मदद से सन्तुलन बनाएं। दोनों हथेलियों को एक साथ छाती के सामने लायें और बायें पंजे पर अपना सन्तुलन बनाये रखें, इस आसन में यथासंभव देर तक बने रहें। > प्रारम्भिक स्थिति में वापस लौट आयें।
दूसरी टाँग पर भी दोहरायें।
लाभ :
यह टखने और पैर की मांसपेशियों को मजबूत करता है और इसलिए गिरी हुई महराब और सपाट पैरों के लिए लाभदायक होता है। यह सन्तुलन की भावना और एकाग्रता की योग्यता को बढ़ाता है।
सावधानी :
टखनों या घुटनों में समस्यायें होने पर इस आसन को न करें।
आसन इन निम्नलिखित श्रेणियों में शामिल किया जाता है:
पंजों की गतिशीलता एवं रक्त संचार बढ़ाने और पादांगुलियों की मजबूती के लिए आसन और व्यायाम
संतुलन को बढ़ाना हेतु आसन और व्यायाम