तकनीक :
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सिर और धड़ को थोड़ा-सा आगे की तरफ झुकायें। मुख से पूरक करें और थोड़ा-सा रेचक करें - नाक से 25-50 बार तेजी से, जोर से आवाज करते हुए।
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शुरू में यह व्यायाम दोनों नथुनों से किया जाता है और बाद में एक-एक नथुने से जबकि सिर दायीं या बायीं ओर झुका रहता है।
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कपालभाति का अभ्यास करने के बाद 1-2 मिनट विश्राम करना चाहिए।
लाभ :
इस विधि का तरोताजा करने वाला प्रभाव होता है और नई ऊर्जा का संचार होता है। रक्त की पूरे मस्तक क्षेत्र और नासिका विवरों (मार्गों) को आपूर्ति प्राप्त होती है। यह नासिका रोग (नासूर) में बहुत लाभदायक है। नासिका साफ हो जाती है और श्वास प्रणाली मजबूत होती है। इसका प्रभाव शान्तिदायक है और इसलिए दबाव का प्रतिरोधक है। ध्यानपूर्वक अभ्यास किये जाने पर यह विधि आन्तरिक शान्ति देती है।
सावधानी :
कपालभाति से कुछ सिर चकराना महसूस हो सकता है किन्तु कुछ अभ्यास के बाद यह महसूस नहीं होगा।
जल्दी या देर में, जो कुछ आप करते हैं वह आपके पास ही लौट आता है। जो कुछ होता है, उसके लिए आप ही उत्तरदायी हैं। आपका जीवन आपके हाथ में है। अपने आपको स्वतन्त्र महसूस करें। अनुभव करें कि आप किसी भी व्यक्ति या वस्तु पर निर्भर नहीं हैं। सभी के लिए सहायक बनें। अपने परिवार, मित्र और सभी जीवधारियों से प्यार करें। सार्थक-सकारात्मक, आध्यात्मिक और स्वस्थ जीवन व्यतीत करें।