ध्यान दें :
पीठ पर।
श्वास :
भिन्न प्रकार (क) श्वास के साथ समन्वित है और भिन्न प्रकार (ख) सामान्य श्वास के साथ।
प्रारंभिक स्थिति :
पीठ के बल लेटें।
दोहराना :
भिन्न प्रकार (क) तीन बार, भिन्न प्रकार (ख) प्रत्येक दिशा में 10 बार।
अभ्यास :
पीठ के बल लेटें।
भिन्न प्रकार (क) : दोनों टांगों के साथ (बिना दृष्टांत)
> आहिस्ता और गहरा पूरक करते हुए दोनों घुटनों को मोड़ें और उनको हाथों से जकड़ लें और रेचक करते हुए घुटनों को शरीर की तरफ खींचें। सिर को उठायें और घुटनों को नाक या मस्तक से छुएँ। > पूरक करते हुए सिर को नीचे लायें। > रेचक करते हुए टांगों को फैला दें और प्रारंभिक स्थिति में लौट आयें। यह क्रिया 3 बार करें। तीसरी बार करने के बाद उसी स्थिति में बने रहें, जब सिर घुटनों के स्पर्श में होगा, और भिन्न प्रकार (ख) का अभ्यास करें।
भिन्न प्रकार (ख) : पार्श्व में एवं आगे व पीछे की ओर लुढ़कते हुए।
> सामान्य श्वास लेते हुए शरीर को 10 बार बायीं व दायीं ओर, तथा फिर पीछे व आगे की ओर 10 बार लुढ़कायें। > रेचक करते हुए फिर से प्रारंभिक स्थिति में आ जायें।
लाभ :
इस व्यायाम से पूरी पीठ की मालिश होती है, यह रीढ़ के लचीलेपन और रक्त-आपूर्ति को बढ़ाता है। यह व्यायाम गुर्दे की कार्यशीलता बढ़ाता है।