प्रारंभिक स्थिति :
पीठ के बल लेटें।
ध्यान दें :
पूरे शरीर पर।
श्वास :
शारीरिक क्रिया के साथ समन्वित मुद्रा में सामान्य।
दोहराना :
2-5 मिनट।
अभ्यास :
पीठ के बल लेटें। शरीर के साथ बाजू सीधे रहेंगे। > पूरक करते हुए घुटनों को मोड़ें और टांगों और नितम्बों को ऊंचा उठायें। हाथों को कूल्हों के नीचे ले आयें जिससे नितम्बों को सहारा मिले। कोहनियां फर्श पर रहेंगी। टांगों को ऊपर की ओर सीधा उठायें। पैरों, टांगों और कूल्हों की मांसपेशियों को विश्राम दें। > सामान्य श्वास लेते हुए इस स्थिति में जितनी देर तक सुविधा हो, रहें। रेचक करते हुए घुटनों को माथे की ओर मोड़ें, धीरे-धीरे नितम्बों व टांगों को नीचे लायें और वापस प्रारंभिक स्थिति में आ जायें।
लाभ :
यह पूरे शरीर को अनुप्राणित करता है और ग्रन्थियों की सक्रियता को विनियमित करता है जिससे तनाव और उदासीनता कम हो जाती है। लेसीका संबंधी निष्क्रिय और विषैले पदार्थ की वापसी बढ़ जाती है जो सूजी हुई टांगों और रगों (नाडिय़ों) के रोगों में लाभदायक होता है। यह पेट और किडनी के अंगों को आराम देता है और इन क्षेत्रों में रक्तापूर्ति में सुधार लाता है। यह निम्न रक्तचाप के लिए लाभदायक है।
सावधानी :
उच्च रक्तचाप या चक्कर आने वालों को इस आसन से बचना चाहिए।
आसन इन निम्नलिखित श्रेणियों में शामिल किया जाता है:
पेट के नीचे के भाग की ग्रन्थियों को जाग्रत करना और संचार बढ़ाने हेतु आसन और व्यायाम
शिराओं के पुनर्भरण हेतु आसन और व्यायाम
निम्न-रक्तचाप के लिए आसन और व्यायाम
पूरे शरीर को सक्रिय करने के लिए आसन और व्यायाम
अवसाद के लिए आसन और व्यायाम